तीन नए कृषि कानून 2024 | Teen Naye Krishi Kanoon Kya Hai 2024 | Tino Krishi Kanoon Kya Hai

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। दिल्ली के सिंधु और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों द्वारा कई महीनों से आंदोलन किया जा रहा है और तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग की जा रही हैं। वर्तमान कृषि आंदोलन को एक विशेष राज्य और एक विशेष समूह तक सीमित बताया जा रहा है। यह बात सही है क्योंकि वर्तमान कृषि आंदोलन पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच अधिक पाया जा रहा है। इसका ठोस कारण यह है कि इन तीनों कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा प्रभाव पंजाब और हरियाणा के ऊपर है। पंजाब और हरियाणा में देश की सबसे ज्यादा कृषि मंडिया शामिल है। वहां के किसान मंडियों के द्वारा एमएससी के लाभ को जानते हैं देश के अन्य हिस्से जिनमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को कृषि की मूलभूत जरूरतों और कृषि मंडियों से दूर रखा गया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि हमेशा से इस आर्थिक सोच को प्रभावी बनाया गया था, की कृषि एक लाभ का क्षेत्र नहीं है और कभी भी किसानों को एक बड़ी बारगेनिंग पावर बनने नहीं देना था। आज यह सफल होता दिखाई दे रहा है। परंतु तीनों ने कृषि कानून सिर्फ किसान के नजरिए से विरोध के कारण नहीं बन गए हैं, बल्कि यह सामान्य जन के लिए भी निकट भविष्य में चुनौती का कारण बन सकता है।

पहला कृषि कानून | Pahla Krishi Kanoon

पहला कानून जिसका नाम “ कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020” है। यह कानून निकट भविष्य में सरकारी कृषि मंडी गांव की प्रासंगिकता को जीरो कर देगा। सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी जवाबदेही के कृषि उपज के क्रय विक्रय की खुली छूट दी जाएगी। इस कानून की आड़ में सरकार द्वारा निकट भविष्य में खुद बहुत अधिक अनाज ना खरीदने की योजना पर काम किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा कृषि उपज की खरीदारी निजी क्षेत्र द्वारा किया जाए। जिससे वह अपने भंडारण और वितरण की जवाबदेही से बच सकेंगे।

यदि निकट भविष्य में कभी कोरोना जैसी विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ा, तो उस दौरान सरकार खुद लोगों को बुनियादी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए निजी क्षेत्र से खरीदारी करेगी। जबकि आज इसे अपने बड़े एफसीआई गोदाम से लोगों को मुफ्त में खाद्य सामग्री उपलब्ध की जा रही है।

इसके साथ ही इस कृषि कानून द्वारा सरकारी कृषि मंडियों के समान अंतर आसान शर्तों पर खड़ा किया जाने वाला नया बाजार इसकी प्रासंगिकता को खत्म कर दिया जाएगा। जैसे ही सरकारी मंडियों की प्रासंगिकता खत्म होगी। वैसे ही उसके साथ एमएसपी का सिद्धांत भी खत्म हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मंडियां द्वारा एमएसपी को सुनिश्चित किया जाता है।

दूसरा कृषि कानून | Doosra Krishi Kanoon

 दूसरा कानून “ कृषि ( सशक्तिकरण और संरक्षण)  कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020” है। जिसकी चर्चा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के विवाद में समाधान के मौजूदा प्रावधानों के संदर्भ में की जाएगी। इस कानून का पूरा विरोध इस तथ्य पर किया जा रहा है, कि इसके जरिए किसानों को विवाद की स्थिति में सिविल कोर्ट जाने से रोका जाएगा। यह विरोध बिल्कुल ठीक है। इसके साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के इस कानून की वजह से देश में भूमिहीन किसानों के एक बहुत बड़े वर्ग के जीवन के ऊपर गहरा संकट आ जाएगा। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 26.3 करोड़ परिवार खेती किसानी के काम में लगे हैं। इसमें से केवल 11.9 करोड़ किसानों के पास खुद की जमीन हैv इसके अलावा 14.43 करोड़ किसान भूमिहीन है। भूमिहीन किसानों की एक बड़ी संख्या द्वारा ‘ बटाई’ पर खेती की जाती है।

भूमि के मालिक से कुल पैदावार की आधी फसल बटाई पर बिजी जाती है। ग्रामीण इलाकों का यह खेती करने का अपना प्रचलित तरीका है। इस नए कानून के द्वारा पूंजीपतियों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए खुली छूट दी जाएगी। यह सोचने का विषय है कि गांव का कोई भूमिहीन किसान इन बड़े निजी क्षेत्र की फर्म से मुकाबला कैसे कर सकेंगे।

एक बड़ी कंपनी बहुत आसानी से किसी किसान से 5 साल की अवधि के लिए एकमुश्त एडवांस पर ले सकती है। लेकिन गांव का एक भूमिहीन किसान ऐसा करने में असमर्थ है। भारत के किसानों का एक बहुत बड़ा हिस्सा अशिक्षित है। जिस कारण वह कानूनी अनुबंध करने में असहज हो जाएगा। इस परिस्थिति में भूमिहीन किसानों का इस योजना के कारण पूरा जीवन खत्म हो जाएगा ।

इसके अलावा बड़ी कंपनियां मशीनों के द्वारा खेती की जाएगी, ना कि मजदूरों के द्वारा खेती की जाएगी। यह कानून देश के 14 करोड़ भूमिहीन किसानों के भविष्य को प्रभावित करेगा।

तीसरा कृषि कानून | Teesra Krishi Kanoon

 तीसरा कानून “ आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020” है यह कानून आने वाले भविष्य में खाद्य पदार्थों की महंगाई का दस्तावेज माना जाता है। इस कानून के द्वारा निजी क्षेत्र को असीमित भंडारण की छूट दी जाएगी। सरकार द्वारा उपज जमा करने के लिए निजी निवेश की छूट दी जाएगी। यह उपस्थित जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने वाला कानून है। इसके साथ ही कानून में स्पष्ट लिखा गया है, कि राज्य की सरकार है और सीमित भंडारण के प्रति सभी कार्रवाई कर सकेंगे। जब वस्तु की मूल्य वृद्धि बाजार में दुगनी हो जाएगी। यह कानून महंगाई बढ़ाने को खुली छूट दे रहा है। यह कानून देश के मध्य आय वर्ग और निम्न आय वर्ग की बुनियाद को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा।

तीनों ही कृषि कानून किसानों और आम लोगों को फायदा नहीं पहुंचाने जा रहा है और ना ही कोई सामान्य किसान इतना आर्थिक समृद्धि है, कि वह बड़े गोदाम बना कर फसलों का भंडारण कर सके और ना ही भूमिहीन किसान इतना मजबूत है, कि वह लंबी अवधि के लिए खेतों का कानूनी अनुबंध कर सकेंगे।

यह कानून एक बड़े बदलाव का हिस्सा है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को साम्राज्यवादी देशों के गुलाम अर्थव्यवस्था बनाने के लिए किया जा रहा है। नव उदारवाद के दौर में लोगों द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा देश के सर्वजनिक उद्यमों को निजी हाथों में बहुत कम दामों में निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है। यह तीन कृषि कानून और व्यापक बदलावों का एक हिस्सा है, जो जनता द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा देशी-विदेशी महाकाय कंपनियों के मुनाफे को बढ़ाने के लिए मजदूरों और किसानों की मेहनत को, उनकी आजीविका को और उनके जीवन को गिरवी रखा जा रहा है ।

किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली का घेराव करके आंदोलन इन नीतियों के प्रतिरोध एक पुरजोर कोशिश की जा रही है और आने वाले समय में प्रतिरोध की बहुत ही जोरदार कोशिशें की जाएगी। जिससे शोषितो के अलग-अलग तबको का सामूहिक प्रतिरोध 1 दिन शोषण की व्यवस्था को खत्म कर देगा और नई व्यवस्था को कायम करेगा।

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